*Avatar* फिल्म v/s *भारतीय आदिवासी समाज*

Hollywood movie अवतार Avatar...


इसे देखकर सभी को अलग अलग प्रकार की feeling आ सकती है।
किसी के लिए यह Love Story हो सकती है, तो किसी को यह पर्यावरण बचाने का संदेश देती प्रतीत हो सकती है...


जब मैंने इसे पहली बार देखा तो, मुझे इसकी कहानी आज के भारतीय आदिवासी समाज से कुछ मिलती जुलती या ये कहें कि हूबहू वैसी ही प्रतीत हुई...

इस फिल्म में आकाशीय लोग जो पृथ्वी से जाते हैं, पैण्डोरा (Pandora ) नामक ग्रह पर वहाँ की सम्पदा को वहाँ के मूल निवासियों जिन्हें नावी (Navi ) कहते हैं, से छीनकर धरती पर लाना चाहते हैं। 

इनकी तुलना कुछ इस प्रकार की जा सकती है...


*Avatar* फिल्म v/s *भारतीय आदिवासी समाज*

  • पैण्डोरा ग्रह - भारत का वन क्षेत्र
  • पैण्डोरा ग्रह के लोग - भारतीय आदिवासी
  • पैण्डोरा की सम्पदा - भारतीय वनों में मौजूद सम्पदा
  • आकाशीय लोगों की Company - भारत की सरकार
  • आकाशीय लोगों की सेना - Indian Commandos जो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं
  • जैक सलीम - .........

ये किरदार कुछ इसी तरह से मेल खाते हैं। 
Note : जैक की जगह अभी तक कोई नहीं ले पाया है।


फिल्म की बात करें तो,......


एक ग्रह है, * पैण्डोरा * वहाँ पर काफी सम्पदा है, जो धरती के लोग अपने फायदे के लिए वहाँ से लाना चाहते हैं। लेकिन वही के मूलनिवासी, जिन्हें *नावी (Navi )* कहते हैं, वो इसकी रक्षा करते हैं। धरती के लोग शस्त्र सम्पन्न होते हैं, लेकिन नावियों के पास ऐसे हथियार नहीं होते। नावी इन आधुनिक शस्त्रों का मुकाबला अपने परंपरागत तीर कमानों से करते हैं।
लेकिन वो अंतत: अपनी धरोहर को बचाने में कामयाब हो जाते हैं। 
इस घटना के पीछे मुख्य हाथ, जिस शख्स का होता है, वह है जैक जो नावियों के लिए *अवतार ( Avatar )* बन के जाता है।



अब हम घटना के दूसरे पहलू को लतेे हैं, जो कि यथार्थ भी है।


भारत देश के काफी इलाके में वन क्षेत्र फैला हुआ है। इन वनों में रहते हैं, आदीवासी। इन्हें वनों पर संवैधानिक अधिकार भी प्राप्त है। इन लोगों की आस्था इन वनों से जुड़ी हुई है। ये लोग इन्हीं वनों से अपना जीवन निर्वाह करते हैं, और इनकी सुरक्षा भी करते हैं।
भारत सरकार इन वनों से इन लोगों को बेदखल कर, इस बहुमूल्य संसाधन सम्पदा को विदेशी companies के हवाले कर देना चाहती है। जब इन लोगों ने इसका विरोध किया, तो इन्हें Commando Forces भेजकर संदमित किया जाने लगा। इनको नक्सलियों की उपाधि प्रदान कर कत्लेआम किया जाने लगा।
ये लोग आज भी सरकार से अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं।


अब देखना ये है, कि कौन जैक इनके लिए *अवतार* बनकर आता है।


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